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निर्देशक- एसएस राजामौली
स्टारकास्ट- राम चरण, जूनियर एनटीआर, अजय देवगन, आलिया भट्ट, ओलिविया मॉरिस, समुथिरकानी, रे स्टीवेन्सन, एलिसन डूडी
rrr hindi review
RRR 1920 के ब्रिटिशकालीन भारत में स्वतंत्रता सेनानी कोमाराम भीम और अल्लूरी सीतारामाराजू के युवा दिनों का एक काल्पनिक वर्णन करती है। अब जबकि कहानी काल्पनिक है.. तो यहां निर्देशक हर तरीके की रचनात्मक स्वतंत्रता भी लेते हैं।
वह दो किरदारों को दर्शकों से मिलाते हैं, एक है “आग”- आक्रोश और ताकत से भरा एक पुलिस अफसर रामराजू, जो अंग्रेजों के लिए लड़ रहा है; दूसरा है “पानी”- सीधा, सच्चा, हिम्मती भीम, जो अंग्रेजों से अपनी जनजाति की एक बच्ची बचाने के लिए उनसे लड़ रहा है। यहीं से शुरु होती है कहानी।
राजामौली के फिल्मों की खासियत है कि वह पहले दृश्य से ही अपनी कहानी के साथ दर्शकों को इस तरह जोड़ते हैं कि आप उस कहानी का हिस्सा बन जाते हैं। फिर आप उसका अंत जरूर जानना चाहते हैं। RRR भी इस फॉरमूला पर सफल उतरती है।
Storyline rrr movie (कहानी)
1920 के ब्रिटिशकालीन भारत में अदिलाबाद के जंगलों में रहती हैं गोंड जनजाति। जहां से स्कॉट और उनकी पत्नी एक बच्ची मल्ली को जबरदस्ती उठा कर दिल्ली ले आते हैं। इस जनजाति में हर समूह के लिए एक रखवाला होता है, जो अपने लोगों को बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। मल्ली को बचाने के लिए आता है भीम (जूनियर एनटीआर)- गतिवान और बलवान। लेकिन अंग्रेज सरकार को इसकी भनक लग जाती है और भीम को रोकने के लिए वो चुनते हैं रामराजू उर्फ़ राम (राम चरण) को, जो कि अंग्रेजों के अधीन बतौर पुलिस अफसर काम करता है। ना राम ने कभी भीम को देखा होता है, जहां भीम ने राम को। लिहाजा, एक घटना के साथ दोनों में दोस्ती होती है और समय के साथ वह गहराती जाती है। दोनों एक दूसरे पर जान छिड़कते हैं। लेकिन भीम किसी भी तरह मल्ली को अंग्रेजों के बीच से निकालना चाहता है, और राम उतनी ही शिद्दत से उसे पकड़ना चाहता है। ऐसे में क्या होगा जब दोनों को एक दूसरे की सच्चाई पता चलेगी? इसी पहेली के इर्द गिर्द घूमती है कहानी।
फिल्म फ्लैशबैक में हमें रामाराजू के बचपन में भी ले जाती है, जहां उसके पिता (अजय देवगन) और सीता (आलिया भट्ट) की कहानी चलती है। फ्लैशबैक के साथ कहानी में कई राज खुलते हैं, जो कि सेकेंड हॉफ में फिल्म को दिलचस्प बनाते हैं।
निर्देशन
निर्देशक एसएस राजामौली ने इस फिल्म को मुख्य तौर पर दो भावनाओं पर चलाया है, देशभक्ति और दोस्ती। ये दोनों ही भाव ऐसे हैं जो सीधे दिल को छूते हैं। इसके साथ यहां दिखती हैफिल्म की भव्यता और दमदार एक्शन सीन्स।
राजामौली काल्पनिक कहानियों को गढ़ने में मास्टर हैं और RRR के साथ उन्होंने एक बार फिर ये साबित कर दिया है। फिल्म में उन्होंने कई ऐसे दृश्य डाले हैं, जो बडे़ पर्दे पर देखना अपने आप में एक शानदार अनुभव है। वहीं, फिल्म से यह बात भी साफ झलकती है कि जूनियर एनटीआर और रामचरण के स्टारडम को काफी ध्यान में रखा गया है। निर्देशक ने दोनों को बिल्कुल बराबर heroic मोंमेंट्स दिये हैं। उन्होंने उनके किरदारों को आग और पानी के रूप में दिखाया है। राम आग है तो भीम पानी.. एक दृश्य में राम कहता है- “जो क्रांति मैं बंदूकों के जरीए लाना चाहता था, वो भीम की एक गीत ने ला दिया”..
दो पक्ष जहां फिल्म थोड़ी कमजोर पड़ती है, वो है इमोशनल कनेक्नट और सेकेंड हॉफ में पटकथा की धीमी गति। निर्देशक कई दृश्यों के सहारे आपको किरदारों से जोड़ने की कोशिश करते हैं, लेकिन आप भावुकता के उस स्तर पर नहीं पहुंच पाते, जहां आप किरदार के लिए महसूस करने लगें।
अभिनय
फिल्म पूरी तरह से जूनियर एनटीआर और राम चरण की है। निर्देशक भी दोनों कलाकारों के स्टारडम से वाकिफ हैं, लिहाजा उन्होंने दोनों को बराबर मौका दिया है। भावुक दृश्य हों या फाइट सीन्स, संवाद हो, इंट्रो हो या स्क्रीन पर उपस्थिति हो, दोनों कलाकारों के हिस्से में सबकुछ बराबर आया है। लिहाजा, उन्होंने भी अपना सर्वश्रेष्ठ दिया है।
एक्शन दृश्यों में जूनियर एनटीआर और राम चरण अति दमदार लगे हैं, तो वहीं भावुक दृश्यों में दोनों की आंखें बोलती हैं। अजय देवगन कुछ ही मिनटों के लिए स्क्रीन पर आते हैं, लेकिन छाप छोड़ते हैं। सीता के रोल में आलिया भट्ट अच्छी लगती हैं। वहीं, सहायक भूमिकाओं में ओलिविया मॉरिस, समुथिरकानी, रे स्टीवेन्सन, एलिसन डूडी, श्रिया शरण ने अपने किरदारों के साथ न्याय किया है।
तकनीकी पक्ष
फिल्म के सबसे मजबूत पक्षों में है फिल्म की सिनेमेटोग्राफी, जो दी है केके सेंथिल कुमार ने। बाहुबली फ्रैंचाइजी के बाद राजामौली और सेंथिल कुमार एक बार फिर साथ आए हैं और कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि राजामौली की भव्यता के विज़न को सेंथिल कुमार बखूबी कैमरे में उतारते हैं। RRR में कई दृश्य ऐसे हैं, जो लंबे समय तक आपके दिमाग में टिके रहते हैं। फिल्म के हिंदी संवाद लिखे हैं रिया मुखर्जी हैं, जो कि औसत हैं। फिल्म में इक्के दुक्के ही डायलॉग्स हैं, जो आपका ध्यान आकर्षित करते हैं। वहीं, ए श्रीकर प्रसाद की एडिटिंग सराहनीय है। हालांकि फिल्म की लंबाई 10-15 मिनट कम की जा सकती थी।
संगीत
फिल्म का संगीत दिया है एमएम क्रीम ने, जो कि फिल्म को ऊपर उठाने का काम करता है। बैकग्राउंड में बजती ‘दोस्ती’ जहां आपको उत्साहित करती है, ‘नाचो नाचो’ में कलाकारों की एनर्जी हैरान होने पर मजबूर करती है, वहीं ‘जननी’ भावुक कर जाती है। गानों के हिंदी बोल रिया मुखर्जी और वरुण ग्रोवर ने लिखे हैं। वहीं, फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर भी जबरदस्त है।
RRR Review
एसएस राजामौली के निर्देशन में बनी RRR सिनेमाघरों में देखने के लिए एक परफेक्ट फिल्म है, जहां हर सीन की भव्यता आपको हैरान कर देती है। जूनियर एनटीआर और रामचरण के फैन हैं तो ये फिल्म आपके लिए Must watch है।
Conclusion
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